🧪 मियाके जिमा: जापान का वो टापू जहाँ इंसान गैस मास्क के पीछे जीता है
हमने COVID के टाइम दो-तीन साल मास्क लगाकर काटे और हम सब थक चुके थे।
अब ज़रा सोचिए — एक ऐसी जगह जहां
हर रोज़, हर पल, हर सांस के लिए मास्क पहनना ज़रूरी
हो।
नहीं, मैं मुंबई या दिल्ली के पोल्यूटेड इलाकों की बात नहीं कर रहा —
बात हो रही है
जापान के मियाके जिमा (Miyake-jima)
आइलैंड की।
🌋 जब ज़मीन फटी और ज़हर उठा
साल 2000 में इस आइलैंड पर एक
भयानक ज्वालामुखी विस्फोट
(volcanic eruption) हुआ।
लावा तो कुछ महीनों में ठंडा हो गया, लेकिन
सल्फर डाइऑक्साइड गैस अब
भी निकलती रही —
दिन-रात, बिना रुके।
सल्फर गैस धीरे-धीरे
हवा को इतना जहरीला बना
चुकी थी कि
सरकार को पूरे आइलैंड को
evacuate (खाली) कराना
पड़ा।
😷 वापसी मुमकिन तो थी, लेकिन शर्तों पर
करीब 5 साल बाद जब हालात कुछ काबू में आए,
तब सरकार ने कुछ लोगों को वहाँ वापस जाने की इजाज़त दी —
लेकिन एक सख्त शर्त के
साथ:
“हर वक़्त गैस मास्क पहनना अनिवार्य होगा।”
आज भी, वहाँ के लोगों के पास कोई चॉइस नहीं है।
बिना मास्क के बाहर निकले तो सांस लेना मौत को दावत देने जैसा है।
🤯 क्यों कोई वहाँ रहना चाहेगा?
आप सोच रहे होंगे — आखिर लोग वहाँ
रह क्यों रहे हैं?
तो जानिए — जापानी सरकार उन लोगों को
पैसे देती है वहाँ रहने के
लिए।
क्यों?
क्योंकि वैज्ञानिक वहाँ रह रहे लोगों के शरीर पर
सल्फर गैस के लंबे समय तक असर
को study कर रहे हैं।
यह इंसानों के
future survival research
के लिए ज़रूरी है।
🐦 जानवर और पक्षी भी नहीं बच पाते
इस आइलैंड पर हालत ऐसी है कि अगर कोई
पक्षी भी आसमान में उड़ता हुआ
उस इलाके में चला जाए,
तो वो
सीधा नीचे गिरकर मर जाता है।
वहाँ के
पशु-पक्षी survive नहीं कर पाते।
वहाँ का environment इतना toxic है कि
छोटा सा exposure भी गले में जलन, खांसी, और infection ला देता है।
🌍 एक अजीब टूरिज्म
हैरानी की बात है —
कुछ tourists वहाँ जाते
हैं सिर्फ ये देखने के लिए कि
"गैस मास्क पहनकर पूरी ज़िंदगी जीना कैसा लगता है?"
यह एक
dark tourism spot बन चुका
है —
जहाँ लोग इंसानी संघर्ष और सर्वाइवल को खुद देखने आते हैं।
🚨 क्या ये हमारा भविष्य है?
मियाके जिमा सिर्फ एक जगह नहीं —
ये एक
जिंदा सवाल है:
"क्या हमारा future भी ऐसा ही होगा?"
जहाँ हमें हर वक़्त मास्क पहनना पड़ेगा,
क्योंकि हवा खुद ज़हर बन चुकी होगी?
अगर आज की सरकारें और समाज pollution को गंभीरता से नहीं लेंगे,
तो शायद
मियाके जिमा एक झलक है उस भविष्य की
जहाँ जीने के लिए गैस मास्क हमारी स्किन का हिस्सा बन जाएगा।
🔚 निष्कर्ष:
मियाके जिमा की कहानी डरावनी ज़रूर है,
लेकिन साथ ही
eye-opening भी है।
यह हमें याद दिलाती है कि
सांस लेने जैसी छोटी सी चीज़ भी लग्ज़री बन सकती है,
अगर हमने आज के पर्यावरण को ठीक से नहीं समझा।
तो अगली बार जब आप खुली हवा में बिना मास्क के साँस लें —
तो बस एक पल को मियाके जिमा की तरफ सोच लेना।
✍️ लेखक:
यशवंत सिंह
और
निशु सिंह
हम दोनों LurnSkill ब्लॉग के लेखक और संस्थापक हैं। हमारा मकसद है कि टेक्नोलॉजी, जनरल नॉलेज और डिजिटल स्किल्स जैसी ज़रूरी जानकारी को आसान और देसी भाषा में हर उस इंसान तक पहुँचाया जाए जो कुछ नया सीखना चाहता है। हम चाहते हैं कि सीखना भारी न लगे — बल्कि मजेदार और जानकारी से भरपूर हो।