♟️ चतुरंग से चेस तक – कैसे भारत का खेल बना दुनिया का सबसे स्मार्ट गेम
अगर आप सोचते हैं कि शतरंज या चेस सिर्फ ब्लैक एंड वाइट बॉक्स वाला दिमागी खेल
है,
तो ज़रा पीछे चलिए —
बहुत पीछे… जब इसका नाम था –
“चतुरंग”।
🧠 चतुरंग: भारत में जन्मा बुद्धिमानों का खेल
शतरंज की असली शुरुआत भारत में हुई थी, और इसे
“चतुरंग” कहा जाता था।
चतुरंग यानी
चार अंगों वाला खेल – जिसमें
शामिल थे:
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गज (हाथी)
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अश्व (घोड़ा)
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रथ (रथ या टॉवर)
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मंत्री और राजा
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और साथ में थे – प्यादे (बदाती)
ये खेल दिखने में भले ही आज के चेस जैसा हो,
लेकिन इसमें एक बड़ा फर्क था
–
सारे स्क्वेर्स एक ही रंग के होते थे।
कोई ब्लैक एंड वाइट बॉक्स नहीं।
🐫 ऊँट आया कहाँ से? और हाथी गया कहाँ?
जब चतुरंग भारत से बाहर गया —
पहले फारस (इران) पहुँचा और
वहाँ इसे कहा गया “शत्रंज”।
फिर यह अरब दुनिया में फैल गया।
लेकिन वहां एक दिक्कत हुई —
हाथी (elephant) उन लोगों के
लिए अजीब चीज़ थी,
क्योंकि उनकी रियल दुनिया में हाथी बहुत कम देखे जाते थे।
लेकिन उनके आसपास ऊँट (camel) खूब थे।
तो उन्होंने elephant वाले
पीस को camel से रिप्लेस कर
दिया —
और वहां से बिशप या ऊँट का
कॉन्सेप्ट आया।
⚫⚪ ब्लैक एंड वाइट बॉक्स क्यों आए?
जब चेस
मेडिवियल यूरोप पहुँचा,
तब लोग ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे।
इसलिए visual clarity लाने के लिए
ब्लैक एंड वाइट स्क्वेर्स
लाए गए —
ताकि मूव्स और बॉर्डर साफ दिखें।
👑 मैड क्वीन की एंट्री
आज की चेस में सबसे ताकतवर पीस होता है —
क्वीन।
लेकिन क्या आप जानते हैं,
कभी क्वीन इतनी पावरफुल नहीं
होती थी।
1475 में यूरोप में चेस का एक वर्जन आया जिसे कहा जाता है —
“Mad Queen’s Chess”
इस वर्जन में क्वीन को ऐसी ताकत दी गई
जो पहले किसी भी पीस के पास नहीं थी —
डायगनल, स्ट्रेट हर जगह मूव करने की आज़ादी।
⏰ Touch Move, Clocks और Modern Rules
जैसे-जैसे समय बीता,
चेस में और भी आधुनिक नियम आए:
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Touch Rule (जो छू लिया, वही चलाना पड़ेगा)
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Chess Clocks
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Castling, En Passant जैसे moves
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और 1924 में बनी एक इंटरनेशनल बॉडी – FIDE
(जो आज भी दुनिया की चेस को रेगुलेट करती है)
🌍 आज का चेस – एक ग्लोबल बुद्धिमानी का प्रतीक
आज चेस सिर्फ एक खेल नहीं,
बल्कि genius का symbol बन
चुका है।
भारत के प्राचीन “चतुरंग” से शुरू हुआ ये सफर
अब दुनिया भर के स्कूलों, कॉम्पटीशन और ओलंपियाड तक पहुँच चुका है।
🔚 निष्कर्ष: भारत का गर्व, दुनिया की चॉइस
शतरंज एक ऐसा खेल है जिसमें जीतने के लिए
ना ताकत चाहिए, ना दौड़ —
बस
दिमाग, धैर्य और सोच चाहिए।
और इसका जन्मस्थान हमारा भारत है —
जहाँ से यह निकला,
दुनिया की सबसे बुद्धिमानी वाली गेम
बनने तक का सफर तय किया।
💬 अब आपकी बारी:
क्या आपने कभी ऊँट, क्वीन या ब्लैक एंड वाइट स्क्वेर्स के पीछे की ये कहानी सोची
थी?
अब जब अगली बार आप चेस खेलें,
तो सिर्फ चाल नहीं चलिए —
उस इतिहास को भी महसूस कीजिए, जो हर मोहरे के साथ चलता है।
✍️ लेखक:
यशवंत सिंह
और
निशु सिंह
हम दोनों LurnSkill ब्लॉग के लेखक और संस्थापक हैं। हमारा मकसद है कि टेक्नोलॉजी, जनरल नॉलेज और डिजिटल स्किल्स जैसी ज़रूरी जानकारी को आसान और देसी भाषा में हर उस इंसान तक पहुँचाया जाए जो कुछ नया सीखना चाहता है। हम चाहते हैं कि सीखना भारी न लगे — बल्कि मजेदार और जानकारी से भरपूर हो।